तेरी आँखों में हमने क्या देखा...

दिल के दीवारों दर पे क्या देखा
बस तेरा नाम ही लिखा देखा

तेरी आँखों में हमने क्या देखा
कभी कातिल कभी खुदा देखा

अपनी सूरत लगी परायी सी
जब कभी हमने आइना देखा

हाय अंदाज़ तेरे रुकने का
वक़्त को भी रुका रुका देखा

तेरे जाने में और आने में
हमने सदियों का फासला देखा

फिर ना आया ख़याल ज़न्नत का
जब तेरे घर का रास्ता देखा

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