कभी यु भी तो हो ..........
कभी यु भी तो हो .....
दरिया का साहिल हो ,
पूरे चाँद की रात हो ,
और तुम आओ ....!
कभी यु भी तो हो .....
परियों की महफिल हो ,
कोई तुम्हारी बात हो ,
और तुम आओ .....!
कभी यु भी तो हो .....
ये नर्म मुलायम ठंडी हवाएं ,
जब घर से तुम्हारें गुज़रे ,
तुम्हारी खुशबू चुरा ले मेरे घर आयें ,
और तुम आओ .....!
कभी यु भी तो हो ......
सुनी हर मेहफील हो ,
कोई ना मेरे साथ हो ,
और तुम आओ .....!
कभी यु भी तो हो ......
ये बादल ऐसा टूट के बरसे ,
मेरे दिल की तरहा मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे ,
तुम निकालो घर से
परियों की महफिल हो ,
कोई तुम्हारी बात हो ,
और तुम आओ .....!
कभी यु भी तो हो .....
ये नर्म मुलायम ठंडी हवाएं ,
जब घर से तुम्हारें गुज़रे ,
तुम्हारी खुशबू चुरा ले मेरे घर आयें ,
और तुम आओ .....!
कभी यु भी तो हो ......
सुनी हर मेहफील हो ,
कोई ना मेरे साथ हो ,
और तुम आओ .....!
कभी यु भी तो हो ......
ये बादल ऐसा टूट के बरसे ,
मेरे दिल की तरहा मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे ,
तुम निकालो घर से
कभी यु भी तो हों .....
तन्हाई हो , बूंदे हो ,
बरसात हो और तुम आओ ,
कभी यु भी तो हो ......
Album: Silsiley
Lyrics : Bashir Badra
बशीर बद्र साहब की यह कम्पोजिशन...बहुत आभार यहाँ लाने का.
ReplyDeleteहा... ये तो उनकी बढिया रचना है
ReplyDeleteI love this gazal....
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