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ये भी क्या एहसान कम हैं

ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये ना आप का हो रहा है हर तरफ़ चर्चा हमारा आप का चाँद में तो दाग़ है पर आप में वो भी नहीं चौदहवीं के चाँद से बढ़के है चेहरा आप का इश्क़ में ऐसे भी हम डूबे हुए हैं आप के अपने चेहरे पे सदा होता हैं धोका आप का चाँद सूरज धूप सुबह कह्कशाँ तारे शमा हर उजाले ने चुराया है उजाला आप का (कह्कशाँ = आकाश गंगा) रचनाकार:-वाजिदा तबस्सुम

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Tere Kadamo Pe Sar hoga .....

आज मैंने अपना फिर सौदा किया

चांद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिए

ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना

सच ये है बेकार हमें ग़म होता है

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता हैं.......

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ ना करे

तेरे आने की जब खबर महके

तुम को देखा तो ये ख़याल आया